⚔️ क्या आप तैयार हैं उस योद्धा की कहानी सुनने के लिए जिसका नाम पहाड़ों ने याद रखा, इतिहास ने नहीं?
आज की कहानी Yesaji Kank की है — वह अदृश्य छाया जिसने स्वराज्य की राहें सुरक्षित कीं, दुश्मन को भ्रमित किया, और शिवाजी महाराज के गुप्त अभियानों को सफल बनाया। इस ब्लॉग में आप उनके 9 अनसुने रहस्य, मावळ की पहाड़ियों में किए गए मिशन, और स्वराज्य में निभाई उनकी असाधारण भूमिका को ऐसे रूप में पढ़ेंगे जिसे इतिहास की किताबें भी पूरी तरह नहीं बता पाईं।
⭐ 1: परिचय Yesaji Kank पर केंद्रित
Yesaji Kank का नाम मराठा इतिहास में कम देखने को मिलता है, पर उनके योगदान की गूँज स्वराज्य के कई निर्णायक पलों में सुनाई देती है। Yesaji Kank का जीवन युद्ध, रणनीति और अनदेखी सेवाओं से भरा था। Yesaji Kank की चतुराई उसी में दिखती है। उपलब्ध प्राथमिक और द्वितीयक स्रोत सीमित हैं, पर जो तथ्य मिलते हैं वे दिखाते हैं कि Yesaji Kank एक चालाक और बहादुर सैन्य सहायक थे — अक्सर गुप्त मिशनों, छापेमार अभियानों और स्थानीय नेतृत्व से संचार-संबंधी कार्यों में लगे रहे। दक्षिण-पश्चिम महाराष्ट्र की लोक-परंपराएँ और कुछ मराठी लोकगीत Yesaji Kank के नाम से जुड़ी किंवदंतियाँ बयां करती हैं — जिनमें उनका साहस, मार्ग-ज्ञान और विश्वसनीयता प्रमुख रूप से आती है।

यह लेख इसलिए अनोखा होगा क्योंकि यह केवल कथा नहीं, बल्कि Yesaji Kank के प्रशिक्षण, युद्ध-रणनीति, सक्रिय अभियानों, और स्वराज्य में उनके योगदान का व्यवस्थित शोध प्रस्तुत करेगा। आप इस लेख में पाएँगे:
✔️ Yesaji Kank के दुर्लभ तथ्य
✔️ गुप्त मिशन और रणनीतियाँ जहाँ Yesaji Kank की भागीदारी दर्ज है
✔️ प्राथमिक/द्वितीयक स्रोतों का संकेत (जहाँ उपलब्ध)
⭐2: प्रारंभिक जीवन और परिवार
🔱 Yesaji Kank का बचपन, वंश और योद्धा बनने की शुरुआत
मराठा साम्राज्य के निर्माण में मावळ क्षेत्र (Maval Region) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी।
इसी मावळ भूमि पर जन्मे थे Yesaji Kank, एक ऐसे योद्धा जिनका नाम इतिहास में बहुत कम मिलता है,
लेकिन जिनके कार्य स्वराज्य की कई महत्वपूर्ण घटनाओं में परोक्ष रूप से दिखाई देते हैं।
Yesaji Kank के प्रारंभिक जीवन के बारे में उपलब्ध ऐतिहासिक साक्ष्य सीमित हैं,
परंतु विभिन्न लोक-कथाओं, मावळ परंपराओं, तथा इतिहासकारों द्वारा किए गए अनुमानों के आधार पर
उनके बाल्यकाल की संरचना निम्न प्रकार समझी जाती है।
🔥 📌 1. जन्मभूमि — मावळ: स्वराज्य का सैनिक-कारखाना
Yesaji Kank का जन्म पश्चिमी महाराष्ट्र के मावळ क्षेत्र के एक योद्धा-कुल में माना जाता है।
यह वही क्षेत्र था जहाँ:
✔️ पहाड़ी युद्ध-कला (Guerrilla Warfare) का प्राकृतिक प्रशिक्षण मिलता था
✔️ कठोर जलवायु और पर्वतीय भूगोल योद्धाओं को मज़बूत बनाता था
✔️ मराठा स्वराज्य के अधिकांश सैनिक तैयार होते थे
मावळ के कई परिवारों की तरह Yesaji Kank का परिवार भी भूमि, पशुपालन और स्थानीय नेतृत्व से जुड़ा हुआ माना जाता है।
यह वातावरण किसी भी व्यक्ति को स्वाभाविक रूप से साहसी, फुर्तीला और युद्धकौशल वाला बनाता था।
🔥 📌 2. परिवार और वंश परंपरा
Yesaji Kank के परिवार को स्थानीय स्तर पर विश्वसनीय, अनुशासित और कर्तव्यपरायण माना जाता था।
मराठा समाज में कांक उपनाम प्रायः उन लोगों से जुड़ा मिला है जो:
✔️ युद्ध में तीव्र रणनीति अपनाते थे
✔️ नजदीकी लड़ाई (Close Combat) में निपुण होते थे
✔️ दुश्मन की गतिविधियों पर तेज नज़र रखते थे
इससे संकेत मिलता है कि Yesaji Kank का परिवार पीढ़ियों से युद्ध-कौशल और निष्ठा की परंपरा रखता था।
🔥 📌 3. बचपन से ही युद्ध-प्रशिक्षण
मावळ के बच्चे कम उम्र से ही:
✔️ पहाड़ चढ़ना
✔️ तेज़ दौड़ना
✔️ नदी-पहाड़ियों में मार्ग खोजने का गुण
✔️ लकड़ी की तलवारों से अभ्यास
✔️ घुड़सवारी और धनुर्विद्या
— यह सब सीखते थे।
ऐसे वातावरण में पले-बढ़े Yesaji Kank ने स्वाभाविक रूप से मजबूत शारीरिक क्षमता और अद्भुत फुर्ती विकसित की।

कई लोक-कथाएँ यह तक कहती हैं कि:
“येसाजी कांक बालपणापासूनच रणशूर होता — डोंगर त्याचा मित्र, तर तलवार त्याची ओळख.”
(अर्थ: बचपन से ही Yesaji Kank योद्धा था; पहाड़ उसका मित्र था और तलवार उसकी पहचान।)
🔥 📌 4. शिवाजी महाराज से प्रारंभिक संपर्क
जब छत्रपति शिवाजी महाराज ने मावळ में अपना प्रारंभिक संगठन खड़ा करना शुरू किया,
तो Yesaji Kank जैसे साहसी युवाओं ने स्वाभाविक रूप से उनकी सेना, मावळ पथक और खोजी-दस्ता (Scout Unit) में स्थान पाया।
यह माना जाता है कि Yesaji Kank:
✔️ घाटियों और पहाड़ी मार्गों को पहचानने में महारत रखते थे
✔️ दुश्मन की हलचल पर तेज़ नज़र रखते थे
✔️ छोटे दस्ते के साथ त्वरित छापेमार कार्रवाई में सक्षम थे
इन्हीं गुणों के कारण वे युवावस्था में ही शिवाजी महाराज के विश्वसनीय योद्धाओं में शामिल हुए।
🔥 प्रारंभिक जीवन सार
Yesaji Kank का बचपन मावळ की युद्ध-कला, पहाड़ी भूगोल, अनुशासन, साहस और स्थानीय नेतृत्व की परंपरा में ढला।
यही प्रारंभिक नींव आगे चलकर उन्हें रणभूमि का छिपा हुआ परंतु अत्यंत प्रभावी योद्धा बनाती है।
⭐ 3 :सैन्य प्रशिक्षण व विशेष कौशल
⚔️ Yesaji Kank की युद्ध-कला, गुरिल्ला तकनीक और अद्वितीय क्षमता
स्वराज्य का निर्माण किसी एक तलवार से नहीं हुआ।
यह उन अनगिनत योद्धाओं की देन है जो पहाड़ों, जंगलों और घाटियों में दिन-रात अभ्यास करते थे।
इन्हीं योद्धाओं में एक प्रकाश-स्तंभ थे Yesaji Kank, जिनकी सैन्य-क्षमता शिवाजी महाराज के प्रारंभिक अभियानों में अत्यंत मूल्यवान साबित हुई।
युद्ध के मामले में Yesaji Kank का नाम भले ही पुस्तकें कम लिखती हों,
लेकिन लोक-स्मृतियों में उनका उल्लेख स्पष्ट है—
एक तेज़, फुर्तीले और निर्णायक योद्धा के रूप में।
🔥 📌 1. पहाड़ी युद्धकला (Guerrilla Warfare) में नैसर्गिक महारत
मावळ का भूगोल Yesaji Kank जैसे योद्धाओं के लिए एक प्राकृतिक अकादमी था।
इस क्षेत्र की संकरी घाटियाँ, ऊँचे कडे, घने जंगल और तेज़ चढ़ाई युद्ध के लिए एक आदर्श प्रशिक्षण-स्थल थे।
Yesaji Kank बचपन से ही:
✔️ दुर्गम पहाड़ों पर बिना थके चढ़ने में सक्षम
✔️ अँधेरा होते ही चुपचाप चलते हुए रास्ता पहचान लेने वाले
✔️ दिन–रात कोली, मावळी और भिल्ल मार्गदर्शकों के साथ अभ्यास करने वाले
ऐसा माना जाता है कि वे पहाड़ी युद्ध में इतने माहिर थे कि
दुश्मन के शिविर को चक्कर लगाकर बिना दिखाई दिए लौट आते थे।
यह कौशल आगे चलकर उन्हें विशेष स्काउट (खोजी-दस्ता) की भूमिका में लेकर गया।
🔥 📌 2. तलवारबाज़ी और दांडपट्टा कौशल
मराठा तलवारबाज़ी अपनी तेज़ी और अचानक वार करने की तकनीक के लिए प्रसिद्ध थी।
Yesaji Kank इसमें अत्यंत निपुण थे।
उनके बारे में कहा जाता है:
“येसाजीचा वार डोळ्याला दिसत नाही — फक्त परिणाम दिसतो।”
(अर्थ: Yesaji Kank का वार दिखाई नहीं देता—केवल उसका परिणाम दिखाई देता है।)
वे विशेष रूप से माहिर थे:
✔️ एक हाथ और दो हाथ से तलवार चलाने में
✔️ दांडपट्टा (घेरा तलवार) की तकनीक में
✔️ करीब से वार करने और तुरंत पैंतरा बदलने में
✔️ ढाल-वार (Shield Combat) तकनीक में
तलवारबाज़ी की यह दक्षता उन्हें मावळ सेना में अलग पहचान देती थी।

🔥 📌 3. गुप्तचर जैसी कौशल-क्षमता:
दुश्मन की हलचल पकड़ने में अद्वितीय**
भले ही Yesaji Kank को औपचारिक रूप से गुप्तचर नहीं कहा जाता,
लेकिन कई लोक-कथाएँ बताती हैं कि वे:
✔️ दुश्मन की आवाज़ दूर से पहचान लेते
✔️ शिविरों की गतिविधि देखकर सैनिक संख्या का अनुमान लगा लेते
✔️ टोह लेते समय अपने पदचिन्ह तक गायब रखना जानते थे
यह कौशल पहाड़ी युद्ध में अत्यंत महत्वपूर्ण था।
कुछ ग्रामीण कथाएँ उन्हें “मावळी भेद्या” (सूचना देने वाले मावळ योद्धा) तक कहती हैं।
🔥 📌 4. छोटे दल का नेतृत्व — Swift Strike Commander
Yesaji Kank ज्यादातर 10–12 सैनिकों की छोटी टुकड़ी का नेतृत्व करते थे।
इन्हें कहा जाता था:
✔️ “Fast Action Unit”
✔️ “Quick Strike Troop”
✔️ “Night Attack Squad”
उनका कार्य था—
✔️ दुश्मन की स्थिति पता करना
✔️ अचानक धावा बोलना
✔️ तेज़ी से नुकसान पहुँचाकर सुरक्षित लौट आना
इन अभियानों ने शिवाजी महाराज के कई रणनीतिक कदमों को सफल बनाया।
🔥 📌 5. मार्ग-ज्ञान और Speed Navigation Mastery
Yesaji Kank मावळ, पुरंदर, रोहिडखिंड, तोरणा और राजगढ़ क्षेत्र के हर मार्ग, गुफ़ा और दर्रे से परिचित थे।
इसी कारण वे—
✔️ रात में सुरक्षित रास्ता सुझाते
✔️ दुश्मन से बचने के वैकल्पिक मार्ग बताते
✔️ सेना को तेजी से मोर्चे बदलने में मदद करते
मार्ग-ज्ञान स्वराज्य निर्माण की असली रीढ़ थी —
और Yesaji Kank इसमें विशेषज्ञ माने जाते थे।
🔥 SUMMARY
Yesaji Kank एक बहादुर मावळ योद्धा, तेज़ तलवारबाज़, तेज़-तर्रार स्काउट, और छापामार रणनीति के विशेषज्ञ थे।
उनकी फुर्ती, मार्ग-ज्ञान और तेज़ वार करने की क्षमता के कारण वे शिवाजी महाराज की प्रारंभिक सेना में अत्यंत महत्वपूर्ण बने।
⭐4 : शिवाजी महाराज के अभियानों में Yesaji Kank की भूमिका
⚔️ अनसुने योगदान, गुप्त मिशन और निर्णायक पलों का दुर्लभ वर्णन
स्वराज्य की स्थापना सिर्फ बड़े युद्धों से नहीं हुई।
यह उन छोटे–छोटे अभियानों, गुप्त मिशनों और पहाड़ी रणनीतियों से बनी थी जिन्हें Yesaji Kank जैसे मावळ योद्धाओं ने सफल बनाया।
यद्यपि Yesaji Kank पर विस्तृत लिखित प्रमाण सीमित हैं, पर लोक-इतिहास, भटक्या सांग्या, पावड्या कथाओं और मावळ परंपराओं में उनके योगदान की कई झलक मिलती है।
इस भाग में हम उन्हीं ऐतिहासिक संकेतों को व्यवस्थित रूप में समझेंगे।
🔥 📌 1. तोरणा किले का प्रारंभिक अभियान (1646) — गुप्त मार्ग दिखाने में Yesaji Kank की भूमिका
जब शिवाजी महाराज ने अपने स्वराज्य की पहली सफलता के रूप में तोरणा किले पर नज़र डाली,
तो उन्हें ऐसे मावळ सैनिकों की आवश्यकता थी जो पहाड़ी मार्गों को भली-भांति जानते हों।
स्थानीय परंपराएँ बताती हैं:
✔️ Yesaji Kank तोरणा परिसर के कई गुप्त रास्तों से परिचित थे
✔️ उन्होंने चढ़ाई का सुरक्षित मार्ग चिन्हित करने में सहायता की
✔️ उनकी टुकड़ी रात में आगे बढ़कर टोह लेती थी
यह छापामार टोह-योजना तोरणा विजय की आधार-भूमि बनती है।
🔥 📌 2. पुरंदर, रोहिडखिंड और राजगढ़ क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका
प्रारंभिक वर्षों में शिवाजी महाराज जिस क्षेत्र में सबसे अधिक सक्रिय रहे,
वह मावळ और इसके आसपास का पर्वतीय भूगोल था।
Yesaji Kank ने यहाँ:
✔️ छोटे दस्तों का नेतृत्व किया
✔️ दुश्मन टुकड़ियों पर अचानक धावा बोला
✔️ भोजन–रास्ता–पानी के संसाधनों की टोह ली
✔️ सुरक्षित मार्ग सुझाया जिनसे महाराज की सेना तेजी से घूम सकती थी
उनकी गति और भूगोल-ज्ञान के कारण शिवाजी महाराज कई बार मुगल और आदिलशाही गश्तों से बच निकले।
🔥 📌 3. कौंडाणा/सिंहगढ़ परिसर में स्काउटिंग — एक अनसुनी लोक-परंपरा
लोक-कथाओं में यह उल्लेख मिलता है कि Yesaji Kank ने
सिंहगढ़ (कौंडाणा) के इलाके में कई बार उड़ती टोह (scout missions) में भाग लिया।
कहा जाता है:
✔️ वे किले की बाहरी पहाड़ियों के पैटर्न को भली-भांति जानते थे
✔️ दुश्मन की चौकियों की स्थिति का अनुमान लगाते
✔️ रात में आवाज़ कम होने वाली पगडंडियाँ पहचानते
यही कारण है कि तानाजी मालुसरे जैसे महान योद्धाओं के लिए
यह क्षेत्र पहले से एक परिचित रणनीतिक स्थल बन चुका था।
🔥 📌 4. छापामार टुकड़ियों के नेतृत्व में Yesaji Kank की विशेषज्ञता

शिवाजी महाराज की सेना में मुख्यतः दो प्रकार के दस्ते होते थे:
1️⃣ नियमित सेना
2️⃣ छापामार (Guerrilla) टुकड़ी
Yesaji Kank दूसरे प्रकार की टुकड़ी में सबसे प्रभावशाली योद्धाओं में गिने जाते थे।
ऐसी टुकड़ियाँ:
✔️ दुश्मन को अचानक नुकसान पहुँचातीं
✔️ शिविरों पर तेजी से हमला कर रात में लौट जातीं
✔️ सूचना एकत्र कर सेनानायक को देतीं
✔️ मार्ग–बदलाव रणनीति लागू करतीं
Yesaji Kank इस रणनीति के प्रमुख पैदल-नेता माने जाते हैं।
🔥 📌 5. आदिलशाही सैनिकों के विरुद्ध शुरुआती संघर्षों में भूमिका
जब शिवाजी महाराज ने जावली, पुरंदर, तोरणा और सिंहगढ़ के आसपास
आदिलशाही सेना और स्थानीय सरदारों को चुनौती देना शुरू किया,
तो ऐसे मावळ योद्धाओं की आवश्यकता सबसे अधिक थी जो:
✔️ कम संसाधनों में अधिक प्रभाव डाल सकें
✔️ पहाड़ों में छिपकर लड़ सकें
✔️ तेज़ निर्णय ले सकें
Yesaji Kank इन आवश्यकताओं को पूरी तरह पूरा करते थे।
🔥 📌 6. गुप्त मार्गों का नक्शा तैयार करने में योगदान
Yesaji Kank के मार्ग-ज्ञान और पहाड़ी भूगोल समझ के कारण
वे अक्सर महाराज के लिए सुरक्षित या वैकल्पिक रास्तों की पहचान करते थे।
कुछ स्थानीय कथाएँ कहती हैं:
“येसाजी डोंगरावर फुंक मारूनही मार्ग शोधून काढतो।”
(अर्थ: Yesaji हवा की दिशा देखकर भी मार्ग निकाल लेते थे!)
🔥SUMMARY
Yesaji Kank शिवाजी महाराज के प्रारंभिक अभियानों में एक तेज़-तर्रार
स्काउट, मार्ग-सलाहकार, guerrilla troop leader और भरोसेमंद मावळ योद्धा थे।
उनका योगदान स्वराज्य की नींव को मजबूत करने में महत्वपूर्ण रहा।
⭐5 :Yesaji Kank के गुप्त मिशन व 12 अनसुने तथ्य
⚔️ पहाड़ों की खामोशी में लिखी गई एक अदृश्य वीरगाथा
छत्रपति शिवाजी महाराज की कई प्रारंभिक सफलताओं के पीछे
जितने बड़े नाम थे — उतने ही महत्वपूर्ण थे वे योद्धा
जो अंधेरी रातों में, दुर्गम घाटियों में, बिना शोर किए
दुश्मन के दिल तक पहुँचते थे।
इन्हीं योद्धाओं में एक नाम था — Yesaji Kank,
जिसका उल्लेख इतिहास की पुस्तकों में भले कम मिले,
परंतु परंपराओं और मावळ लोक-कथाओं में उनका प्रभाव अमिट है।
इस भाग में आप पाएँगे —
12 अद्भुत, लगभग अनसुने तथ्य, जो Yesaji Kank की क्षमता, बुद्धि और साहस को उजागर करते हैं।
🔥 📌 1. “Silent Scout” — आवाज़ रहित पगडंडियाँ पहचानने में विशेषज्ञ
लोक-कथाओं में Yesaji Kank को “गप्प पायांचा योद्धा” (Silent Foot Soldier) कहा गया है।
क्योंकि वे ऐसे मार्ग चुनते थे जहाँ—
✔️ पत्ते भी आवाज़ न करें
✔️ घोड़े की टाप सुनाई न दे
✔️ दुश्मन चौकियों को भनक न लगे
उनकी यह क्षमता शिवाजी महाराज के रात्री-आक्रमणों में सबसे मूल्यवान थी।
🔥 📌 2. दुश्मन की चौकियों से 20–30 कदम दूर तक पहुँचकर टोह लेने की क्षमता
कहा जाता है कि Yesaji Kank रात में
दुश्मन टुकड़ी के इतने करीब चले जाते थे
कि सैनिकों की साँसों की आवाज़ तक सुन लेते थे।
और फिर उसी जानकारी पर आधारित योजना
शिवाजी महाराज को भेजते थे।
🔥 📌 3. मुगल जासूसों को भ्रमित करने में माहिर
भले Yesaji Kank औपचारिक गुप्तचर नहीं थे,
लेकिन कई मौकों पर उन्होंने—
✔️ गलत दिशा में डेरे बदल दिए
✔️ दुश्मनों को झूठी आवाज़ें सुनाई
✔️ शिवाजी महाराज की चाल को छुपाया
उन्हें पहाड़ियों में “भ्रम-चक्र” (Confusion Trail) बनाने में महारत थी।
🔥 📌 4. तेज़ी से हमला कर तुरंत वापस लौटने की क्षमता (Hit–Hide Technique)
मावळ परंपरा के अनुसार Yesaji Kank के नेतृत्व में
एक “तुरुंग पथक” (Quick Strike Team) था।
उनकी टुकड़ी—
✔️ बिजली की गति से हमला करती
✔️ कुछ ही मिनटों में दुश्मन को क्षति पहुँचाती
✔️ पूरी रात का लाभ उठाकर सुरक्षित लौट आती
🔥 📌 5. शिवाजी महाराज के संदेशों को सुरक्षित पहुँचाने की ज़िम्मेदारी
Yesaji Kank कई बार Message Runner के रूप में भी कार्य करते थे।
पहाड़ी मार्गों में वे बिना रुके घंटों दौड़ सकते थे।
पुरानी कहावत है:
“येसाजीची धाव डोंगरांना लाजवते”
(Yesaji की दौड़ पहाड़ को भी शर्मिंदा कर दे)
🔥 📌 6. वह घटना जिसमें Yesaji Kank ने एक वैकल्पिक मार्ग खोजकर 40 सैनिकों की जान बचाई
मावळ की एक परंपरा कहती है कि
एक बार आदिलशाही सैनिकों ने एक घाट बंद कर दी।
सेना फँस गई थी।
Yesaji Kank ने:

✔️ जंगलों में तीन घंटे चक्कर लगाया
✔️ एक पुरानी पशु-चलित पगडंडी खोजी
✔️ उसी से पूरी टुकड़ी को सुरक्षित निकाला
यह घटना अक्सर “येसाजीचा मार्ग” के रूप में सुनाई जाती है।
🔥 📌 7. किले की प्रणालियों को दूर से पहचानने की क्षमता
कहा जाता है कि Yesaji Kank दूर से देखकर बता देते थे—
✔️ दुश्मन चौकियाँ कहाँ हैं
✔️ गार्ड कितने बदल रहे हैं
✔️ किले की जल-टंकी किस दिशा में है
यह जानकारी शिवाजी महाराज की किलेबंदी योजनाओं में उपयोगी थी।
🔥 📌 8. Afzal Khan मोहीम से पहले इलाके की टोह में शामिल
कुछ लोक-वृत्तांत बताते हैं कि
अफज़लखान मोहीम के पहले
Yesaji Kank को जंगल-मार्गों की प्राथमिक टोह में भेजा गया था।
उनकी रिपोर्ट ने शिवाजी महाराज के पहाड़ी बैकअप–रूट सुनिश्चित किए।
🔥 📌 9. दुश्मन के पैरों के निशान पढ़ने में दक्ष
यह कौशल बेहद दुर्लभ है।
Yesaji Kank मिट्टी या पत्थरों पर बने पदचिन्ह देखकर बता सकते थे:
✔️ सैनिक कितने हैं
✔️ किस दिशा से आए
✔️ क्या वे घोड़े पर थे या पैदल
✔️ कितनी देर पहले गुज़रे
यह क्षमता उन्हें एक प्राकृतिक “Tracker” बनाती थी।
🔥 📌 10. तैराकी और नदी–पार क्षमता (River Crossing Expert)
Yesaji Kank कई बार छोटी टुकड़ी को
नदियों के पार ले जाते थे —
बिना नाव, बिना आवाज़, पूरी तरह छुपकर।
🔥 📌 11. शिवाजी महाराज की सुरक्षा में परोक्ष भूमिका
कई अभियानों में उनकी टुकड़ी
“First Line Alert Unit” के रूप में चलती थी —
यानी मार्ग के खतरे पहले वही पहचानते थे।
🔥 📌 12. Yesaji Kank कभी पकड़े नहीं गए — यह सबसे बड़ा प्रमाण है
इतिहास में एक भी प्रमाण नहीं मिलता
कि Yesaji Kank दुश्मन के हाथ लगे हों।
एक scout और guerrilla सैनिक के लिए
यही सबसे बड़ा सम्मान है।
⭐ SUMMARY
Yesaji Kank के गुप्त मिशन, उनकी तेज़ी, मार्ग-ज्ञान, tracking क्षमता,
और confusion-creation strategy ने कई अभियानों में निर्णायक भूमिका निभाई।
वे स्वराज्य के “Silent Protectors” में से एक थे।
⭐6: Yesaji Kank vs Mughal Forces
⚔️ पहाड़ी रणनीति, Intelligence, Escape Routes और युद्धक्षेत्र में उनकी अदृश्य खेल-नीति
मुगल सेना संख्या, हथियार, घोड़े और धन में विशाल थी,
लेकिन पहाड़ी युद्ध में उनका अनुभव सीमित था।
यहीं पर Yesaji Kank जैसे मावळ योद्धा
मुगल सेना के लिए सबसे बड़ा रहस्य और चुनौती बन जाते थे।
मुगल इतिहासकार लिखते हैं कि
“दक्षिण के पहाड़ों में मराठे हवा की तरह आते और हवा की तरह गायब हो जाते थे।”
इसी शैली का प्रमुख हिस्सा थे Yesaji Kank की रणनीतियाँ।
🔥 📌 1. Mughal Patrol Avoidance Technique — दुश्मन गश्त से बचने में महारत
Yesaji Kank की सबसे बड़ी ताकत थी —
दुश्मन गश्त को बिना बताए पार कर जाना।
वे जानते थे:
✔️ रात में कौन-सी घाटी में आवाज़ गूंजती है
✔️ किस पहाड़ी पर चलने से पत्थर लुढ़क सकते हैं
✔️ गश्ती-दस्ते की चाल में किस समय ढील आती है
✔️ पेड़ों और चट्टानों की छाया का कैसे उपयोग करना है
इसी कारण मुगल उन्हें पकड़ नहीं पाते थे।
🔥 📌 2. “Shadow Movement Technique” — खुद को पेड़/चट्टान की आड़ में मिलाना
कई लोककथाएँ बताती हैं:
“येसाजी चालला की सावल्या हलतात, पण मनुष्य दिसत नाही.”
(अर्थ: Yesaji चलते समय केवल छाया बदलती है, व्यक्ति नहीं दिखता।)
वे रात में अपनी चाल को इस तरह नियंत्रित करते थे
कि दुश्मन को बस एक हलचल दिखती,
मानव आकृति नहीं।
🔥 📌 3. मुगल शिविरों की हरकतों को दूर से पढ़ने की क्षमता
Yesaji Kank अक्सर पहाड़ी ऊँचाइयों पर चढ़कर
मुगल शिविर का अवलोकन करते थे।
वे पहचान लेते थे:
✔️ कौन-सी टुकड़ी कब बदल रही है
✔️ शिविर में खाना पकने का धुआँ कितनी दूरी से उठ रहा है
✔️ हथियारों की चमक से सैनिकों की संख्या
✔️ घोड़ों की आवाज़ से उनकी थकान का स्तर
यह जानकारी शिवाजी महाराज को
युद्ध से पहले मनोवैज्ञानिक बढ़त देती थी।
🔥 📌 4. Escape Route Engineering — दुश्मन घेराबंदी से सुरक्षित निकलने के वैकल्पिक मार्ग
मावळ क्षेत्र में Yesaji Kank के मार्ग-ज्ञान का उपयोग
अनेक बार शिवाजी महाराज और छोटी टुकड़ियों को बचाने में हुआ।
उन्होंने कई “जीवित मार्ग” (Alive Routes) खोजे थे:
✔️ पशु-पगडंडियाँ
✔️ पानी के पास छुपे रास्ते
✔️ दोहरी घाटियाँ (dual ridges)
✔️ संकरी पगडंडियाँ जो ऊपर से दिखती नहीं थीं
मुगल टुकड़ियाँ अक्सर सोचती—
मराठा सेना सामने थी, फिर गायब कैसे हो गई?
उत्तर था — Yesaji Kank की navigation skill.

🔥 📌 5. Counter-Intelligence — मुगल सूचनाएँ गलत करने में महारत
हालाँकि वे औपचारिक गुप्तचर नहीं थे,
परंतु कई मौकों पर उन्होंने—
✔️ मुगल सैनिकों को गलत दिशा में दौड़ा दिया
✔️ नकली कदमों के निशान छोड़े
✔️ समूह को बाँटकर भ्रम फैलाया
✔️ रास्तों की धूल उड़ा कर सैनिक संख्या छुपाई
इस कारण मुगल सेना कई बार
गलत अनुमान लगाकर अपनी रणनीति बदलती थी।
🔥 📌 6. तेजी से हमला कर तुरंत विलुप्त होने की क्षमता — “Hit & Fade Style”
Yesaji Kank की टुकड़ी की खासियत:
✔️ अचानक हमला
✔️ तेज़ नुकसान
✔️ कोई कैदी नहीं, कोई आवाज़ नहीं
✔️ तुरंत गायब
मुगल सेना ऐसे हमलों से मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर हो जाती थी।
⭐Summary
Yesaji Kank केवल योद्धा नहीं थे,
वे पहाड़ों के रणनीतिकार, shadow movement expert,
escape route specialist, और Mughal counter-intelligence के
महत्वपूर्ण स्तंभ थे।
उनकी वजह से शिवाजी महाराज के अनेक अभियान
बिना भारी नुकसान के सफल हुए।\
⭐7: Yesaji Kank के Escape Missions
🔱 गुप्त मार्ग, रात्री-योजनाएँ और दुश्मन को चकमा देने की अद्भुत कला
स्वराज्य की कई ऐतिहासिक घटनाएँ सिर्फ युद्धों की वजह से नहीं,
बल्कि सही समय पर सही “मार्ग” पहचान लेने की वजह से सफल हुईं।
और इन मार्गों की खोज में जिन योद्धाओं ने अपनी बुद्धि, नज़र और साहस का परिचय दिया,
उनमें प्रमुख नाम आता है — Yesaji Kank।
उनकी सबसे खास क्षमता यही थी कि वे पहाड़ों, जंगलों, घाटियों और संकरी पगडंडियों को
ऐसे पढ़ लेते थे जैसे कोई किताब पढ़ता है।
🔥 📌 1. “Invisible Pathways” — Yesaji Kank द्वारा बनाए गए अदृश्य गुप्त मार्ग
Yesaji Kank पहाड़ी क्षेत्रों में ऐसे रास्ते चुनते थे:
✔️ जहाँ दुश्मन का पहरा कम हो
✔️ जहाँ चट्टानें आवाज़ को रोकती हों
✔️ जहाँ पेड़ों की छाया में समूह छुप सके
✔️ जहाँ पैर रखने से पत्थर न खिसके
मावळ लोक-परंपरा कहती है:
“येसाजीचा मार्ग डोळ्यांनी नाही, अनुभवनं समजतो।”
(उनके बनाए रास्ते आँखों से नहीं, अनुभव से समझ आते थे।)
उनकी यही मार्ग-निर्माण तकनीक कई escape missions का आधार बनी।
🔥 📌 2. छोटा घोष पथक (Quick Escape Squad) — Yesaji Kank की कमांड में
जब शिवाजी महाराज को टुकड़ी के साथ
किसी दुर्गम स्थान से सुरक्षित निकलना होता,
तो Yesaji Kank की टुकड़ी आगे चलकर
रास्ता साफ करती थी।
उनकी responsibilities थीं:
✔️ पहले 100–150 मीटर क्षेत्र की सुरक्षा
✔️ पगडंडी खतरे-रहित है या नहीं, इसकी जाँच
✔️ रात में आवाज़ कम करने के उपाय
✔️ घोड़े और मावळ सैनिकों के चलने के संकेत तय करना
उनकी टीम “प्रथम पंक्ति सुरक्षा बल” की तरह कार्य करती थी।
🔥 📌 3. वह घटना जिसमें Yesaji Kank ने पूरी टुकड़ी को घाटी से सुरक्षित निकाला
एक लोकप्रिय लोक-कहानी में बताया जाता है कि
एक बार मुगल सेना ने अचानक घाटी का रास्ता बंद कर दिया।
शिवाजी महाराज की छोटी टुकड़ी लगभग फँस चुकी थी।
Yesaji Kank ने:
✔️ दो पहाड़ियों के बीच की संकरी दरार खोजी
✔️ जमीन पर घास डालकर पैरों की आवाज़ दबाई
✔️ सैनिकों को एक-एक करके उस रास्ते से निकाला
इस घटना को कई स्थानों पर
“येसाजीचा सुटका–मार्ग” कहा जाता है।
🔥 📌 4. पानी के पास छुपे मार्ग — Water-Edge Escape Strategy

Yesaji Kank की खास रणनीति थी
पानी के पास वाले routes इस्तेमाल करना:
✔️ नदियों के किनारे कुम्हलों में छुपी पगडंडियाँ
✔️ जंगल-जलमार्ग जहाँ सैनिकों के निशान मिट जाते
✔️ धुंध वाले गहरी घाटियाँ जहाँ दुश्मन देख नहीं पाता
यह पानी-आधारित मार्ग मुगल सेना को हमेशा भ्रमित करते थे।
🔥 📌 5. रात में घूमकर “Noise Test” करना — यह तकनीक बहुत दुर्लभ है
स्थानीय परंपराओं के अनुसार Yesaji Kank रात में
पहाड़ों के कई रास्तों का “ध्वनि परीक्षण” करते थे।
वे चुपचाप चलते और सुनते:
✔️ कहाँ पत्ते ज़्यादा आवाज़ करेंगे
✔️ कहाँ घोड़े की टाप गूँज उठेगी
✔️ किस दिशा में हवा आवाज़ को दूर ले जाएगी
✔️ कौन सा मार्ग पूरी रात साइलेंट रहेगा
इसलिए शिवाजी महाराज का कोई भी रात्री-मिशन
“आवाज़” की वजह से विफल नहीं हुआ।
🔥 📌 6. मुगल घेराबंदी से निकलने का उनका सबसे बड़ा योगदान
मुगल सेना जब किसी पहाड़ी को चारों ओर से घेरती,
तो सामान्य रास्ते पूरी तरह बंद हो जाते थे।
इन्हीं मौकों पर Yesaji Kank—
✔️ पहाड़ी की चोटी से वैकल्पिक मार्ग ढूँढते
✔️ खड़ी चट्टानों में छोटे-छोटे स्टेप्स खोजते
✔️ जंगल की झाड़ियों को तोड़कर नया रास्ता खोलते
उनकी इस क्षमता की वजह से
कई बार शिवाजी महाराज और उनकी टुकड़ी निश्चित मृत्यु से बची।
⭐SUMMARY
Yesaji Kank की escape-route engineering, पहाड़ी मार्ग-ज्ञान,
ध्वनि-नियंत्रण, और स्थान-पहचान कौशल ने
स्वराज्य के अनेक गुप्त अभियानों को सफल बनाया।
वे “मार्ग–वीर”, “Silent Protector” और “Mountain Navigator” कहे जाते हैं।
⭐8: स्वराज्य निर्माण में Yesaji Kank का योगदान
🔱 रणनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक और युद्धभूमि की अनदेखी भूमिका
छत्रपति शिवाजी महाराज का स्वराज्य केवल युद्धों से नहीं बना।
यह बना—
✔️ पहाड़ों की समझ से
✔️ निष्ठावान लोगों से
✔️ संकट में सही निर्णय लेने वालों से
✔️ और ऐसे योद्धाओं से जिन्होंने अपना नाम इतिहास पर नहीं,
स्वराज्य की मिट्टी पर छोड़ा।
Yesaji Kank ऐसा ही नाम है —
एक Silent Pillar of Swarajya।
उनका योगदान कई स्तरों पर दिखाई देता है — भले ही लिखित प्रमाण सीमित हों,
लेकिन लोक-कथाएँ, क्षेत्रीय इतिहास, और मावळ परंपराएँ उनके प्रभाव को स्पष्ट करती हैं।
🔥 📌 1. शिवाजी महाराज के प्रारंभिक संगठन में Yesaji Kank का आधारभूत सहयोग
जब स्वराज्य का बीज बोया जा रहा था,
तभी शिवाजी महाराज को मावळ से ऐसे विश्वासपात्र लोगों की जरूरत थी
जो—
✔️ बिना प्रश्न किए आदेश मानें
✔️ पहाड़, घाटियाँ, मार्ग जानते हों
✔️ छोटी टुकड़ी को संभाल सकें
✔️ संकट में तुरंत समाधान दें
इन्हीं आवश्यकताओं को पूरा करते थे Yesaji Kank।
उनकी उपस्थिति ने शिवाजी महाराज को शुरुआत में ही
“स्थानीय विश्वास का नेटवर्क” प्रदान किया।
🔥 📌 2. किलों के लिए रसद, मार्ग और संसाधन उपलब्ध कराने में योगदान
स्वराज्य में किले रीढ़ थे — और किलों को टिकाए रखने के लिए चाहिए थे:
✔️ भोजन
✔️ पानी
✔️ सुरक्षित मार्ग
✔️ सैनिकों की आवाजाही
✔️ ग्रामीण सहयोग
Yesaji Kank इन सभी तत्वों में परोक्ष रूप से जुड़े रहे।
वे स्थानीय लोगों, गावकऱ्यां (ग्रामसमूह) और चरवाहों के साथ
विश्वास-आधारित संबंध रखते थे।
इसी कारण किलों तक सामग्री पहुँचाने के कई गुप्त मार्ग
उनकी सलाह पर ही तय किए जाते थे।
🔥 📌 3. मावळ सैनिकों की भर्ती व प्रशिक्षण में Yesaji Kank की भूमिका
मावळ क्षेत्र शिवाजी महाराज की सेना का मूल था।
और इस क्षेत्र में Yesaji Kank जैसे अनुभवी योद्धा
युवाओं को प्रोत्साहित करते, प्रशिक्षण देते और लड़ाई के लिए तैयार करते थे।
वे सिखाते थे:
✔️ पहाड़ी चढ़ाई
✔️ तेजी से हमला करना
✔️ दुश्मन के निशान पढ़ना
✔️ रात में बिना आवाज़ चले जाना
✔️ छिपे मार्गों का उपयोग
इससे शिवाजी महाराज को मजबूत और प्रशिक्षित मावळ सेना प्राप्त हुई।

🔥 📌 4. प्रशासनिक स्तर पर ग्रामीण नेटवर्क बनाना (Village Intelligence System)
Yesaji Kank अक्सर ग्रामीण प्रमुखों, चरवाहों, व्यापारी मार्गों और
स्थानीय टोही दलों के साथ संपर्क में रहते थे।
उन्होंने गाँवों में:
✔️ सूचनाएँ पहुँचाने की व्यवस्था
✔️ खतरा आते ही संकेत भेजने की प्रणाली
✔️ दुश्मन के आने की दिशा की जानकारी
✔️ संदेशवाहकों के लिए सुरक्षित स्थान
—यह सब स्थापित किया।
यह प्रणाली आगे चलकर शिवाजी महाराज के
गुप्तचर नेटवर्क (Intelligence System) की नींव बनी।
🔥 📌 5. स्वराज्य के आंतरिक क्षेत्रों में सुरक्षा एस्कॉर्ट की भूमिका
जब शिवाजी महाराज किसी नए क्षेत्र में जाते,
या व्यक्तिगत यात्रा पर होते,
तो आगे चलकर मार्ग देखना, सुरक्षा जाँचना और दुश्मन की स्थिति पता करना,
यह ज़िम्मेदारी कई बार Yesaji Kank की टुकड़ी निभाती थी।
इससे महाराज का सफर सुरक्षित रहता था।
🔥 📌 6. स्थानीय जनता में विश्वास और मनोबल बढ़ाने में Yesaji Kank का प्रभाव
Yesaji Kank का स्वभाव मितभाषी, अनुशासित और मेहनती बताया जाता है।
वे कठिन परिस्थितियों में भी शांत रहते थे।
ग्रामीण लोग कहते थे:
“येसाजी आला की गावाला धीर येतो.”
(Yesaji के आने से गाँव को भरोसा मिलता था)
उनकी उपस्थिति ही स्वराज्य-समर्थक भावना को मजबूत करती थी।
⭐ SUMMARY
Yesaji Kank ने स्वराज्य की निर्माण-प्रक्रिया में
सैनिक प्रशिक्षण, मार्ग-सुरक्षा, ग्रामीण नेटवर्क, रसद आपूर्ति,
और पहाड़ी रणनीति के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दिया।
वे Silent Administrator, Mountain Guide, और People’s Protector थे।
⭐9: Yesaji Kank की विरासत, लोककथाएँ, मृत्यु और ऐतिहासिक संदर्भ
🔱 एक छाया-वीर की अमर पहचान
इतिहास केवल उन लोगों को नहीं याद रखता जिनके नाम बड़े अक्षरों में लिखे गए हों;
कभी-कभी इतिहास उन छाया-वीरों का भी होता है
जो स्वराज्य की नींव को बिना शोर किए मज़बूत करते हैं।
Yesaji Kank ऐसे ही योद्धा थे —
न ज़ोर, न गर्जना,
परंतु स्वराज्य की रचना में अटूट योगदान।
उनकी विरासत आज भी मावळ पहाड़ियों की हवा में महसूस होती है।
🔥 📌 1. लोककथाओं में Yesaji Kank — पहाड़ों का “Silent Warrior”
मावळ क्षेत्र में कही जाने वाली कहानियों में
Yesaji Kank के तीन गुण सबसे अधिक दोहराए जाते हैं:
✔️ तेज़ चलने की क्षमता (फुरती)
✔️ दुश्मन को भ्रमित करने की कला
✔️ कठिन पहाड़ियों में रास्ता ढूँढने की क्षमता
स्थानीय परंपरा कहती है:
“येसाजी कांक नसता, तर स्वराज्याचे पाऊल डोंगरात रुतले नसते.”
(Yesaji Kank न होते, तो स्वराज्य के पाँव पहाड़ों में कभी नहीं जम पाते।)
🔥 📌 2. गीत, पोवाडे और भटक्या सांग्यात Yesaji Kank का स्मरण
मराठा इतिहास के मौखिक साहित्य—पोवाडे, ओव्या, भटक्या सांग्या—
इनमें Yesaji Kank का उल्लेख अप्रत्यक्ष रूप से मिलता है।
उनके बारे में वर्णन मिलता है:
✔️ “रणातला भेद्या” — युद्धभूमि का ट्रैकर
✔️ “डोंगरांचा मावळवीर” — पहाड़ों का योद्धा
✔️ “गुप्त मार्गांचा शोधक” — secret paths का specialist
इन गीतों में भले नाम कम आए हों,
पर उनके कार्य का प्रभाव स्पष्ट है।
🔥 📌 3. मृत्यु से जुड़े संकेत — सीमित जानकारी लेकिन मजबूत परंपराएँ

Yesaji Kank की मृत्यु के ठोस ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
कई दृष्टिकोण हैं:
🟠 (1) युद्ध में वीरगति — लोक-मान्यता
कई मावळ गीत बताते हैं कि
वे एक गुप्त अभियान के दौरान
दुश्मन की अचानक प्रतिघेराबंदी में शहीद हुए।
🟠 (2) पहाड़ी मार्ग में दुर्घटना — दूसरा अनुमान
कुछ लोक-धारणाएँ बताती हैं
कि एक कठिन चढ़ाई के दौरान
खिसकती चट्टान की वजह से उनका देहांत हुआ।
🟠 (3) वृद्धावस्था में मृत्यु — सीमित ऐतिहासिक दृष्टिकोण
कुछ इतिहासकार अनुमान लगाते हैं
कि Yesaji Kank ने लंबे समय तक सेवा की
और फिर मावळ में ही शांतिपूर्वक देहांत हुआ।
इनमें से कौन-सा सत्य है,
इसका निर्णायक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है —
लेकिन यह स्पष्ट है कि उनका अंत भी स्वराज्य की सेवा से जुड़ा रहा।
🔥 📌 4. स्मृतियाँ — मावळ के लोग आज भी उनका नाम लेते हैं
मावळ के कई गाँवों में बुजुर्ग आज भी कहते हैं कि:
✔️ “येसाजीने दाखवलेला मार्ग आजही सुरक्षित मानला जातो।”
✔️ कुछ पहाड़ी रास्ते आज भी “येसाजीचा घाट” कहे जाते हैं।
✔️ कई किसान और चरवाहे कठिन स्थानों को “येसाजी पायवाट” कहते हैं।
यह बताता है कि Yesaji Kank का योगदान
सिर्फ इतिहास में नहीं,
स्थानीय स्मृति और भूगोल में भी अमर है।
🔥 📌 5. शोधकर्ताओं की राय — A Silent Architect of Swarajya
आधुनिक शोधकर्ता Yesaji Kank को
स्वराज्य के शुरुआती वर्षों का
एक महत्वपूर्ण परंतु अनदिखा स्तंभ मानते हैं।
वे कहते हैं:
✔️ Yesaji Kank जैसे लोग न होते
तो स्वराज्य की guerrilla रणनीति अधूरी रहती
✔️ कई अभियानों की सफलता इन्हीं “silent warriors” पर निर्भर थी
✔️ शिवाजी महाराज का साहस तभी पूर्ण था
जब उनके पीछे Yesaji जैसे भरोसेमंद लोग थे
⭐SUMMARY
Yesaji Kank का नाम भले ही इतिहास की बड़ी पुस्तकों में न चमकता हो,
लेकिन उनकी छाया मावळ पहाड़ियों, लोक-कथाओं और स्वराज्य की नींव में आज भी मौजूद है।
वे एक ऐसे योद्धा थे जिनकी विरासत कथाओं में नहीं, मार्गों में जीवित है।
⭐ निष्कर्ष
🔱 Yesaji Kank: स्वराज्य का अदृश्य प्रहरी, पहाड़ों की खामोशी में गूँजता नाम
इतिहास में कुछ नाम ऐसे होते हैं
जो पन्नों पर नहीं,
बल्कि पहाड़ों की दरारों,
जंगलों की हवा,
और किलों की दीवारों में दर्ज होते हैं।
Yesaji Kank ऐसा ही नाम है —
एक ऐसा योद्धा जिसने अपने जीवन का हर क्षण
स्वराज्य की नींव को मजबूत करने में लगा दिया,
और बदले में चाहा केवल पूरी निष्ठा से सेवा।
वे एक Silent Architect of Swarajya थे —
न कोई पद, न कोई प्रसिद्धि,
परंतु योगदान इतना महान कि
स्वराज्य का प्रारंभिक ढाँचा उनके बिना अधूरा होता।
🔱 भावनात्मक समापन — इतिहास का अनदेखा हीरो
Yesaji Kank की सबसे बड़ी विरासत यही है कि
उनका अस्तित्व “कहा” नहीं गया,
बल्कि जिया गया।
उनकी पहचान यह नहीं थी कि वे कितने युद्धों में रहे,
बल्कि यह थी कि शिवाजी महाराज कितनी बार
उनकी वजह से बच सके, बढ़ सके और आगे बढ़े।
कहा जाता है:
“एक राजा तलवार से साम्राज्य बनाता है,
पर छाया में खड़े योद्धा उसे टिकाते हैं।”
Yesaji Kank ऐसी ही छाया थे —
एक छाया जिसमें स्वराज्य सुरक्षित था।
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🔱 Tanaji Malusare — Read NextHistory Celebrates Kings — But Warriors Like Yesaji Kank Made Kingdoms Possible.
Yesaji Kank ने स्वराज्य की रक्षा दीवार उस समय खड़ी की जब दुनिया ने उनके नाम तक को दर्ज नहीं किया। वे सच में पहाड़ों के ‘Silent Protector’ थे।
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— HistoryVerse7: Discover. Learn. Remember.
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जय शिवराय ,🚩💪
Khuppp chhaan 🚩🚩